सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण एक अदिश राशि है।
सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण स्थिरांक का परिणाम उस आकर्षण बल के बराबर है जो बल एक दूसरे से एकांक दूरी पर स्थित एकांक द्रव्यमान के दो कण के बीच कार्य करता है।
G का विमीय सूत्र S.I. प्रणाली के आधार मात्रकों के पदों में निम्नलिखित है,
M-1L3T-2
हेनरी कैवेंडिश ने 1798 में अपने कैवेंडिश प्रयोग द्वारा इस स्थिरांक G का मान 6.674×10−11न्यूटन मीटर स्क्वायर पर किलोग्राम स्क्वायर है ।
गुरुत्व वह आकर्षण बल है जिससे पृथ्वी किसी वस्तु को अपने केंद्र की ओर आकर्षित करती है ।
पृथ्वी का गुरुत्वीय त्वरण पृथ्वी की ओर मुक्त रूप से गिरती हुई वस्तु के वेग में प्रति सेकंड होने वाली वृद्धि है, इसे g से प्रदर्शित किया जाता है इसका मात्रक मीटर प्रति सेकंड स्क्वायर होता है।
माना पृथ्वी का द्रव्यमान Meतथा त्रिज्या Reहै, कोई पिंड जिसका द्रव्यमान m है, पृथ्वी से कुछ ऊंचाई पर स्थित है,
गुरुत्वीय त्वरण व गुरुत्वाकर्षण स्थिरांक में संबंध निम्नलिखित है,
g=G Me/Re2
किसी पिंड को अनंत से गुरुत्व क्षेत्र के अंदर किसी बिंदु पर लाने में जितना कार्य प्राप्त होता है, उसे उस बिंदु पर गुरुत्व स्थितिज ऊर्जा कहते हैं गुरुत्वाकर्षण स्थितिज ऊर्जा सदैव ऋणत्मक होती है। गुरुत्वाकर्षण स्थितिज ऊर्जा का सूत्र है:
U=-Gm1m2/r
सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण बल की विशेषताओं को निम्नलिखित बिंदुओं में दर्शाया गया है
अंतरिक्ष में उपस्थित ग्रहों, चंद्रमाओं और धूमकेतुओं की गति को समझने में सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण बल महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । आकाशगंगाओं और तारों के समूह बाल के कारण बंधे रहते हैं हमारे द्वारा अंतरिक्ष में छोड़े गए कृत्रिम उपग्रह भी इसी बल के कारण पृथ्वी की परिक्रमा करते रहते हैं। मानव द्वारा अंतरिक्ष में भेजे गए मिशन की सफलता भी इस बल की गणना करना पर निर्भर करती है ।
पृथ्वी पर आने वाले ज्वार भाटा पृथ्वी, सूर्य तथा चंद्रमा के बीच लगने वाले गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ही संभव होते हैं ।
पृथ्वी पर उपस्थित सभी वस्तुओं में वजन पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ही होता है, इसी बल के कारण वृक्ष से फल जमीन की ओर गिरते हैं और वायु के घर्षण के बिना सभी वस्तुएं समान त्वरण के साथ पृथ्वी की ओर गिरती है।