ब्रह्मांड में उपस्थित प्रत्येक कण एक दूसरे कण पर एक आकर्षण बल लगाते हैं, इस आकर्षण बल को हम सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण बल के नाम से जानते हैं। सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण बल प्रकृति के चार मौलिक बलों में से एक है। यह वही बल है जो ग्रहों को सूर्य की परिक्रमा करने पर मजबूर करता है, और विशाल आकाशगंगाओं को एक साथ बांधे रखता है। सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण बल अन्य मौलिक बल की तुलना में सबसे कमजोर होता है परंतु इसका प्रभाव अनंत दूरी तक रहता है । इस लेख में हम इसके बारे में विस्तार से जानेंगे ।

गुरुत्वाकर्षण बल का इतिहास

अगर हम इसके इतिहास की बात करें तो, प्राचीन दार्शनिक जैसे अरस्तू ने माना था वस्तुएं पृथ्वी की ओर गिरती है क्योंकि यह उनका स्वाभाविक स्थान है मगर सर्वप्रथम सर आइज़ैक न्यूटन ने 1687 में अपने प्रसिद्ध ग्रंथ प्रिंसिपिया मैथेमेटिका में सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियम प्रस्तुत किया। न्यूटन ने कहा: गुरुत्वाकर्षण बल सार्वत्रिक है, जो सभी वस्तुओं पर कार्य करता है। यह बल पृथ्वी पर गिरने वाली वस्तुओं और आकाशीय पिंडों की गति दोनों को नियंत्रित करता है। आगे चलकर 1915 में, अल्बर्ट आइंस्टीन ने गुरुत्वाकर्षण की समझ में  क्रांति  लेकर आए उनका सापेक्षता सिद्धांत विशेष रूप से अत्यंत विशाल पिंडों और प्रकाश के व्यवहार को समझाने में सफल रहा। इससे गुरुत्वाकर्षण तरंगों, ब्लैक होल, और प्रकाश के झुकने जैसी घटनाओं का पूर्वानुमान संभव हुआ।

न्यूटन का सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियम

गुरुत्वाकर्षण बल को समझाने के लिए न्यूटन ने सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण का नियम दिया, इस नियम के अनुसार-

"किन्ही दो पिंडों के बीच लगने वाला आकर्षण बल उन दोनों पिंड के द्रव्यमान के गुणनफल के समानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के व्युत्क्रमानुपाती होता है, तथा इसकी दिशा दोनों पिंडों को मिलाने वाली रेखा के अनुदिश होती है"

समीकरण

यदि दो कण जिन का द्रव्यमान m1व m2है, उनके बीच की दूरी r है, तथा उनके बीच कार्य करने वाला बल F है, तो सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण बल का सूत्र,

F=Gm1m2/r2

जहां:

  • F=गुरुत्वाकर्षण बल (न्यूटन में)
  • G=गुरुत्वाकर्षण स्थिरांक (6.74×10−11Nm2 /kg2 )
  • m1और m2  =दोनों वस्तुओं के द्रव्यमान (किलोग्राम में)
  • r=दोनों वस्तुओं के केंद्रों के बीच की दूरी (मीटर में)

मात्रक

यदि बल न्यूटन में हो, दूरी मीटर में तथा द्रव्यमान किलोग्राम में हो तो सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण स्थिरांक का S.I. मात्रक Nm2 /kg2 (न्यूटन मीटर स्क्वायर पर किलोग्राम स्क्वायर)होगा ।
सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण एक अदिश राशि है।

सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण स्थिरांक

सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण स्थिरांक का परिणाम उस आकर्षण बल के बराबर है जो बल एक दूसरे से एकांक दूरी पर स्थित एकांक द्रव्यमान के दो कण के बीच कार्य करता है।

विमा

G का विमीय सूत्र S.I. प्रणाली के आधार मात्रकों के पदों में निम्नलिखित है,

M-1L3T-2

सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण बल स्थिरांक का मान

हेनरी कैवेंडिश ने 1798 में अपने कैवेंडिश प्रयोग द्वारा इस स्थिरांक G का मान 6.674×10−11न्यूटन मीटर स्क्वायर पर किलोग्राम स्क्वायर है ।

गुरुत्व (पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण)

गुरुत्व वह आकर्षण बल है जिससे पृथ्वी किसी वस्तु को अपने केंद्र की ओर आकर्षित करती है ।

गुरुत्वीय त्वरण

पृथ्वी का गुरुत्वीय त्वरण पृथ्वी की ओर मुक्त रूप से गिरती हुई वस्तु के वेग में प्रति सेकंड होने वाली वृद्धि है, इसे g से प्रदर्शित किया जाता है इसका मात्रक मीटर प्रति सेकंड स्क्वायर होता है।

गुरुत्व त्वरण में परिवर्तन

  • पृथ्वी की सतह से ऊपर जाने पर गुरुत्व त्वरण का मान घटता है।
  • पृथ्वी की सतह से नीचे जाने पर भी गुरुत्व त्वरण का मान घटता है।
  • पृथ्वी के ध्रुव पर गुरुत्व त्वरण का मान अधिकतम तथा विश्वत रेखा पर न्यूनतम होता है।
  • यदि पृथ्वी की घूर्णन गति को बढ़ा दिया जाए तो गुरुत्व त्वरण का मान कम होने लगेगा और यदि घूर्णन गति को घटा दिया जाए तो गुरुत्व त्वरण का मान बढ़ जाता है।

पृथ्वी के गुरुत्वीय त्वरण व न्यूटन के सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण बल स्थिरांक में संबंध

माना पृथ्वी का द्रव्यमान Meतथा त्रिज्या Reहै, कोई पिंड जिसका द्रव्यमान m है, पृथ्वी से कुछ ऊंचाई पर स्थित है,
गुरुत्वीय त्वरण व गुरुत्वाकर्षण स्थिरांक में संबंध निम्नलिखित है,

g=G Me/Re2

गुरुत्वाकर्षण स्थितिज ऊर्जा

किसी पिंड को अनंत से गुरुत्व क्षेत्र के अंदर किसी बिंदु पर लाने में जितना कार्य प्राप्त होता है, उसे उस बिंदु पर गुरुत्व स्थितिज ऊर्जा कहते हैं गुरुत्वाकर्षण स्थितिज ऊर्जा सदैव ऋणत्मक होती है। गुरुत्वाकर्षण स्थितिज ऊर्जा का सूत्र है:

U=-Gm1m2/r

सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण बल की विशेषताएँ

सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण बल की विशेषताओं को निम्नलिखित बिंदुओं में दर्शाया गया है

  • यह बल सभी वस्तुओं के बीच कार्य करता है।
  • यह केवल आकर्षण का बल है; इसमें प्रतिकर्षण का कोई सिद्धांत नहीं है।
  • यह बल द्रव्यमान पर निर्भर करता है, वस्तुओं का द्रव्यमान जितना अधिक होगा, गुरुत्वाकर्षण बल उतना ही अधिक होगा।
  • यह बल दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती है, दूरी बढ़ने पर बल तीव्रता से घटता है।
  • यह बल अनंत दूरी तक कार्य करता है।
  • यह चार मौलिक बलों में सबसे बल कमजोर है।

सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण बल के अनुप्रयोग

अंतरिक्ष विज्ञान और खगोल भौतिकी

अंतरिक्ष में उपस्थित ग्रहों, चंद्रमाओं और धूमकेतुओं की गति को समझने में सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण बल महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । आकाशगंगाओं और तारों के समूह बाल के कारण बंधे रहते हैं हमारे द्वारा अंतरिक्ष में छोड़े गए कृत्रिम उपग्रह भी इसी बल के कारण पृथ्वी की परिक्रमा करते रहते हैं। मानव द्वारा अंतरिक्ष में भेजे गए मिशन की सफलता भी इस बल की गणना करना पर निर्भर करती है ।

पृथ्वी पर ज्वार-भाटा

पृथ्वी पर आने वाले ज्वार भाटा पृथ्वी, सूर्य तथा चंद्रमा के बीच लगने वाले गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ही संभव होते हैं ।

वस्तुओं का वजन और मुक्त पतन

पृथ्वी पर उपस्थित सभी वस्तुओं में वजन पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ही होता है, इसी बल के कारण वृक्ष से फल जमीन की ओर गिरते हैं और वायु के घर्षण के बिना सभी वस्तुएं समान त्वरण के साथ पृथ्वी की ओर गिरती है।

प्रश्न और उत्तर 

  1. गुरुत्वाकर्षण बल का अर्थ क्या है?
    प्रत्येक वस्तु दूसरी वस्तु पर एक आकर्षण बल लगाती है जिस बल को हम गुरुत्वाकर्षण बल के नाम से जानते हैं ।
  2. गुरुत्वाकर्षण बल का मान कितना होता है?
    सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण बल का मान 6.674×10−11न्यूटन मीटर स्क्वायर पर किलोग्राम स्क्वायर होता है तथा पृथ्वी के गुरुत्व त्वरण का मान 9.8 मीटर पर सेकंड स्क्वायर होता है ।
  3. पृथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण सबसे अधिक कहाँ होता है?
    पृथ्वी के ध्रुवों पर गुरुत्वाकर्षण बल का मान सर्वाधिक होता है ।
  4. सबसे कमजोर बल कौन सा होता है?
    प्रकृति में पाए जाने वाले मौलिक बल में सबसे कमजोर बल गुरुत्वाकर्षण बल है ।
  5. प्रकृति में 4 प्रकार के बल क्या हैं?
    प्रकृति में 4 मौलिक बल पाए जाते हैं जो कि गुरुत्वाकर्षण बल, विद्युत चुंबकीय बल, सशक्त नाभिकीय बल और दुर्बल बल नाभिकीय बल हैं ।