सर्वप्रथम सफलतापूर्वक उपयोग में लिए जाने वाला लेजर रुबी लेजर (Ruby laser) था, इसका आविष्कार मैमनद्वारा 1960 में किया गया था।
परिभाषा
रुबी लेजर एक ठोस अवस्था लेजर है, जिसमे जनसँख्या प्रतिलोम के लिए त्रिस्तरीय योजना का प्रयोग किया जाता है जिससे लेज़र क्रिया संभव हो पाती है।
रूबी लेजर का निर्माण
रुबी लेजर के मुख्यतः तीन भाग होते हैं।
- क्रियाशील पदार्थ
- अनुनाद गुहिका
- प्रकाशिक पम्पन निकाय
क्रियाशील पदार्थ
रूबी छड़ को एल्युमीनियम ऑक्साइड (Al2O3) के एक क्रिस्टल द्वारा बनाया जाता है, जिसमें 0.05% क्रोमियम ऑक्साइड (Cr2O3) मिला दिया जाता है। इसके कारण इसमें कुछ एल्यूमीनियम आयन क्रोमियम आयनों से प्रतिस्थापित हो जाते हैं, जिनके कारण ही लेजर की क्रिया संभव हो पाती है तथा इन्हीं क्रोमियम आयनों के कारण रूबी क्रिस्टल का रंग गुलाबी हो जाता है।
अनुनाद गुहिका
रूबी क्रिस्टल को 10 सेंटीमीटर लंबे तथा 0.8 सेंटीमीटर व्यास की क्षण के रूप में परिवर्तित कर दिया जाता है इसके दोनों सिरे सपाट तथा एक दूसरे के समांतर होते हैं एक सिरे को पूणतः परावर्तित बनाया जाता है जबकि दूसरे को आंशिक रूप से परावर्तित बनाया जाता है। इस क्षण को एक बेलनाकार आवरण में रख दिया जाता है तथा तापमान को स्थिर रखने के लिए उस आवरण में द्रव नाइट्रोजन व पानी का प्रयोग किया जाता है।
प्रकाशिक पम्पन निकाय
प्रकाशिक पम्पन निकाय एक कुंडली आकार की जीनॉन गैस से भरें एक नलिका होती है, जो कांच के आवरण के चारों ओर लिपटी रहती है तथा यह एक उचित पावर सप्लाई से जुड़ी होती है।
रुबी लेजर की कार्य विधि
क्रोमियम आयन सामान्य ऊर्जा अवस्था E1होते हैं, जब फ्लैश लैंप से प्रकाश रूबी रॉड पर पड़ता है तो आपतित विकिरण क्रोमियम आयनों द्वारा अवशोषित हो जाता है और उत्तेजित अवस्था E3तक बढ़ जाता है। सामान्य अवस्था में क्रोमियम आयन तरंग दैर्ध्य 5500A∘ के एक फोटॉन को अवशोषित कर सकते हैं और ऊर्जा बैंड T2पर जा सकते हैं। यह तरंग दैर्ध्य 4000A∘ के फोटॉन को भी अवशोषित कर सकता है और ऊर्जा बैंड T1पर जा सकता है।

क्रोमियम आयन ऊपरी ऊर्जा अवस्था T1और T2में जाता है और 10−8sec तक रहता है और फिर गैर-विकिरणीय संक्रमण क्रमशः मेटास्टेबल अवस्था E1और E2में करता है, जिनका जीवन काल ≈10−3sec बहुत ज्यादा होता है। इन अवस्थाओं में परमाणुओं की संख्या बढ़ती रहती है और साथ ही सामान्य अवस्था E1में परमाणुओं की संख्या प्रकाशिक पम्पन के कारण घटती जाती है। इस प्रकार जनसंख्या प्रतिलोम मेटास्टेबल अवस्था और सामान्य अवस्था के बीच प्राप्त किया जाता है। कमरे के तापमान पर, यदि विकिरण को लगातार रखा जाता है, तो पंपिंग की प्रक्रिया के दौरान, A2स्तर पर जनसंख्या A1के स्तर की तुलना में लगभग 15 अधिक होती है। E3अवस्थाओं में कुछ उत्तेजित परमाणु मूल अवस्था E1में वापस आ जाते हैं लेकिन कम संभावना के साथ। जब जनसंख्या उलटा हो जाता है तो गुंजयमान गुहा में प्रकाश प्रवर्धन शुरू हो जाता है। जब मेटास्टेबल अवस्था E2पर उत्तेजित परमाणु जमीनी स्तर E1में संक्रमण करते हैं, तो 6943A∘ (A2→ E1) और 6928A∘ (A1→ E1) प्रत्येक की चौड़ाई ≈6A∘ पर दो कमजोर रेखाएं होती हैं। लेकिन लेसिंग की स्थिति के तहत, लाइन 6943A∘ 6928A∘ पर हावी है। यह दर्शाता है कि उत्सर्जन संक्रमण संकीर्ण होने पर पंपिंग संक्रमण वर्णक्रमीय रूप से व्यापक हैं। दो वर्णक्रमीय रेखाओं 6943A∘ और 6928A∘ की तरंग दैर्ध्य तापमान पर निर्भर हैं।
रुबी लेजर के उपयोग
- रुबी लेजर का प्रयोग धातु में छेद करने अथवा वेल्डिंग करने के लिए किया जाता है।
- इसका प्रयोग कठोर पदार्थ जैसे हीरे को तलाशने के लिए भी किया जाता है।
- आंखों के ऑपरेशन में भी लेजर का प्रयोग किया जाता है।
- 3d फोटोग्राफी में भी लेजर का प्रयोग करते हैं।