निर्देश तंत्र

निर्देश तंत्र हमको घटना के समय उस वस्तु की स्थिति और समय के साथ परिवर्तन को दर्शाता है, मुख्य रूप से दो निर्देश तंत्र होते हैं,

  1. जड़त्वीय निर्देश तंत्र
  2. अजड़त्वीय निर्देश तंत्र
जड़त्वीय एवं अजड़त्वीय निर्देश तंत्र

किसी भी वस्तु अथवा पिंड की गति का वर्णन करने के लिए हमको यह पता होना चाहिए कि यह गति किस के सापेक्ष है, इस घटना को एक उदाहरण से समझते हैं, जब हम किसी गाड़ी से कहीं जाते हैं तो हमें गाड़ी से पेड़ पौधे चलते हुए नजर आते हैं परंतु सड़क किनारे खड़े हुए किसी व्यक्ति को वह पेड़ खड़े हुए नजर आएंगे तथा गाड़ी चलती हुई नजर आएगी।

जड़त्वीय निर्देश तंत्र

हम जानते हैं कि न्यूटन के प्रथम नियम को जड़त्व का नियम भी कहते हैं, इसे हम समझ सकते हैं कि ऐसा निर्देश तंत्र जिसमें न्यूटन का प्रथम नियम लागू होता है जड़त्वीय निर्देश तंत्र कहलाता है, किसी भी जड़त्वीय निर्देश तंत्र में कोई भी पिंड अपनी विराम अवस्था अथवा गति अवस्था को तख्त बनाए रखता है जब तक कि उस पर कोई बाहे बल नहीं लगाया जाता ।

अजड़त्वीय निर्देश तंत्र

यह एक ऐसा निर्देश तंत्र है जहां पर न्यूटन के नियम लागू नहीं क्योंकि यह तंत्र जड़त्वीय निर्देश तंत्र के सापेक्ष त्वरित रूप से गति करता रहता है । एक समान गति से घूमने वाले तंत्र में अभिकेंद्रीय त्वरण होता है जिस कारण वह भी अजड़त्वीय निर्देश तंत्र अंतर्गत आते हैं।

प्रश्न और उत्तर

  1. जड़त्व का नियम क्या है?
    जड़त्व के नियमके अनुसार कोई भी वस्तु अपनी विराम अवस्था अथवा गति की अवस्था को तब तक बनाए रखता है जब तक इस पर कोई बाहे बल नहीं लगाया जाता ।
  2. जड़त्वीय निर्देश तंत्र क्या होता है?
    ऐसा निर्देश तंत्र जिसमें न्यूटन का प्रथम नियम लागू होता है जड़त्वीय निर्देश तंत्र कहलाता है ।
  3. अजड़त्वीय निर्देश तंत्र क्या होता है?
    ऐसा निर्देश तंत्र जिसमें न्यूटन के नियम लागू नहीं होते अजड़त्वीय निर्देश तंत्र कहलाता है ।
  4. न्यूटन के नियम किस निर्देश तंत्र में वैद्य होते हैं?
    न्यूटन के नियम जड़त्वीय निर्देश तंत्र में वैद्य होते हैं ।
  5. पृथ्वी कैसा निर्देश तंत्र है?
    पृथ्वी एक अजड़त्वीय निर्देश तंत्र है क्योंकि पृथ्वी अपनी अक्ष के परित घूर्णन के साथ-साथ सूर्य की परिक्रमा भी करती है तथा घूर्णन के कारण इसमें अभिकेंद्रीय त्वरण भी होता है ।